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Friday, January 10, 2014

Bitiya

This poem is another beautiful creation of my lovely sister Manjari Joshi and is dedicated to "Girls". A girl becomes a caring mother, lovely sister, great friend, helping wife and smart daughter. She gives us life, respect, love, gratitude. She believes on us and fight for us and demand just love. Please respect girls and give them love and care. Because they deserve !!!


दाता एक कर्म मुझ पर भी किया होता, 
मुझे बिटिया न किया होता।                                                   

प्यार तो बहुत मिला माँ बाप से,
पर पीछे हो गयी इस समाज से,
आज लड़की होने का अहसास न हुआ होता,
गर मुझे बिटिया न किया होता।

दस कि उम्र में अलग कर दी गयी समाज से,
बाध दी गयी कई बेड़ियों और रिवाज से,
न पहनने कि आजादी न चलने की,
घिरी रही अन्धविस्वाशो के दरवाजो से।

अठारह कि उम्र मैं समाज के ताने सुने,
सभी लोगो ने ब्याह के ताने बाने बुने,
बनकर बहु जिस घर में गए,
वहाँ भी हम पराये ही रहे।
दहेज की आग में भी हम ही जले,
पर सारे गम मन ही मन सहे।

पर नारी होकर हम भी बेटे को चाहने लगे,
कुलदीपक की चाह में बेटी को मरवाने लगे,
और अपनी ही बिटिया को ताने सुनाने लगे,
लड़की होने का अहसास उसे भी दिलाने लगे,
बुढ़ापे में भी चाहा सहारा बेटा बने,
लड़की के अस्तित्व को यहाँ भी झुटलाने लगे।

कहते हैं समाज बदल गया है,
बेटे और बेटी में फर्क कहाँ रह गया है,
पर आज भी मैंने बेटे के जन्म पर सखनाद सुना है,
बेटी का गला गर्भ में घुट्ते सुना है,
रोड पर जाती लड़की को ताने सुनते सुना है,
मैंने भी लड़की होने का पाप बुना है।

एक किरण या सानिया होने से समाज नही बदलेगा,
सोच बदलने से ही समाज बदलेगा,
वर्ना हर युग में हर घर में बेटी येही कहेगी,
दाता एक कर्म मुझ पर भी किया होता,
मुझे बिटिया न किया होता                                            




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