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Monday, February 24, 2014

फ़ौजी



ब्लॉग की इस नयी रचना में एक फ़ौजी की ज़िन्दगी के बारे में बताया गया है। जो लड़ाई के मैदान में दुश्मन से अपने देश की रक्षा कर रहा है। यह कविता भी मेरी बहिन कुमारी मंजरी जोशी द्वारा रचित है। 


सरहदों पर बंदूके ताने, ख़ड़े है न कितने जाने। 
दिल में लिए एक उमंग, दुशमन को हराने की।
आँखों मैं एक चमक, माँ के आँचल को बचाने की।

लड़े मरते दम तक, नही झुकाया सिर मौत के अंतिम क्षणों तक।
पत्नी की  माँग मिटाकर, राखी का बंधन छुटाकर।
सो गए अपनी मदहोशी में, वो मौत को गले लगाकर।

विश्वास ही नही की बेटा शहीद हो गया,
अभी भी नंबर मिला उसी को बुला रहा हाय ये अभागा पिता।

जी भर उसे निहारना चाहती थी, ममता से उसको सहलाना चाहती थी,
हाय मेरा आशीष भी काम न आया, मेरा बेटा लौट के ना आया।

करनी थी अभी बाते ढेर सारी, होना था तुम पर बलिहारी।
खायी थी कस्मे जियेंगे हर पल संग में,
क्यू छोड़ दिया फिर अकेला इस जग में।

अरमानों का गला घोठा, सपनों का महल टुटा।
देश की रक्षा तो कर ली भाई, पर राखी की सौगंध ना निभाई।

याद करेंगे उन पलों को, जो बिताये थे साथ।
कभी तो आओगें वापस, ये ही रहेगी आश।
प्रभु इतना पत्थर दिल नही हो सकता,
मेरा दोस्त मुझसे नही छिन सकता।








Tuesday, February 4, 2014

Tujhse Dur

In this beautiful journey of poems, here is the another poem written by my sister Manjari joshi. Just enjoy the beauty of poem.

जा रहा हुँ मैं पर तुमसे दूर कहाँ जाऊँगा।
तेरी हर एक साँस में मैं बस जाऊँगा।
तेरे ख्यालो में आता जाता रहूँगा।
कभी आँखों का पानी तो कभी होटों की हंसी बन जाऊँगा।              


तेरे सपनो की दुनिया रंगीन कर जाऊँगा।
अपने प्यार से तेरा दामन भर जाऊँगा।
तेरी हर बात का मैं किस्सा बन जाऊँगा।
तेरी हर ख़ुशी का मैं हिस्सा बन जाऊँगा।

कभी हवा तो कभी बारिश की बूँद बनकर आऊँगा।
तेरे उदास चेहरे पर ख़ुशी बिखेर जाऊँगा।
तू मत कर गम मेरे जाने का।
मैं फिर लौट कर वापस आऊँगा।

इस जन्म में ना पा सका तो क्या।
अगले सातों जन्म तुझे अपना बनाऊँगा।
मांग तेरी खुद सजाकर।
तुझे दुल्हन अपनी बनाऊँगा।

जा रहा हुँ मैं पर तुमसे दूर कहाँ जाऊँगा।
देखना मैं फिर आऊँगा , मैं फिर आऊँगा।